Reviving my blogging with this knowledge base today, after a long break!
below are important principles esp. about food items to be followed and avoid ill health or long term effects
described by the Puranas with required reasoning in them
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- प्रतिपदा को कूष्माण्ड(कुम्हड़ा, पेठा) न खाये, क्योंकि यह धन का नाश करने वाला है।
(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
- द्वितीया को बृहती (छोटा बैगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है।
(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
- तृतीया को परवल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है।
(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
- चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है।
(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
- पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है।
(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
- अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है।
(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
- नवमी को लौकी खाना गोमांस के समान त्याज्य है।
(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
- हर एकादशी को श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख शांति बनी रहती है l
राम रामेति रामेति । रमे रामे मनोरमे ।। सहस्त्र नाम त तुल्यं । राम नाम वरानने ।।
एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से विष्णु सहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है
- द्वादशी को पूतिका(पोई) खाने से पुत्र का नाश होता है।
(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
- त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है।
(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
- चतुर्दशी, पूर्णिमा रविवार, और व्रत के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है।
(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
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